यदि कोई व्यक्ति आज लोकसभा चुनाव लड़ना चाहे तो सबसे पहले उसके जेहन में ढेर सारे पैसे आते हैं ।चमचमाती हुई गाड़ियों का रेला ,समर्थकों का हुजूम, माइक ,तंबू इत्यादि में करोड़ों खर्च हो जाते हैं।
बात 1967 का है जब संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी मोलहू प्रसाद खजड़ी बजाकर चुनाव जीत लिया था। दरअसल मोलहू प्रसाद साइकिल से गांव गांव घूमकर खजड़ी बजाते और अपने गंवई अंदाज में गाना गाकर लोगों तक अपना संदेश पहुंचाते ।
पहला चौथे जीत के लिए प्रयासरत तो दूसरा चौथी हार को रोकने के लिए प्रयासरत
आश्चर्य की बात है कि लोगों ने उन्हें अपना सांसद चुन लिया ।आज के आधुनकि समय के चुनाव से तुलना किया जाए तो यह स्वप्न जैसा लगता है लेकिन यह सच है ।गौरतलब है कि उस समय भारत में इतनी समृद्धि नहीं थी और न ही चुनावों में पैसों का बोलबाला था।
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